Rrudraabhishek

5 चमत्कारी लाभ रुद्राभिषेक (rudraabhishek) पूजा के – जानिए यह शक्तिशाली पूजा कैसे लाती है शांति, समृद्धि और सुरक्षा

रुद्राभिषेक (rudraabhishek) क्या है?

रुद्राभिषेक(rudraabhishek) एक अत्यंत शुभ और फलदायक वैदिक अनुष्ठान है, जिसमें भगवान शिव को विविध पवित्र पदार्थों द्वारा स्नान कराकर ‘रुद्र’ स्वरूप की स्तुति की जाती है। यह पूजन मुख्य रूप से शांति, समृद्धि, स्वास्थ्य और सभी प्रकार की बाधाओं के निवारण हेतु किया जाता है। ‘रुद्र’ भगवान शिव का उग्र रूप है, और ‘अभिषेक’ का अर्थ है स्नान कराना। रुद्राभिषेक विशेष रूप से श्रावण मास, महाशिवरात्रि, प्रदोष व्रत, जन्मदिवस, विवाह वर्षगांठ, नवगृह दोष निवारण एवं विशेष मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु किया जाता है।


रुद्राभिषेक(rudraabhishek) का महत्व

  • संपूर्ण दोष निवारण: कालसर्प दोष, पितृ दोष, नवग्रह दोष आदि के शमन में सहायक।
  • आरोग्य एवं आयुष्य: गंभीर रोगों से मुक्ति एवं दीर्घायु के लिए प्रभावशाली।
  • धन, व्यापार, करियर में सफलता: आर्थिक वृद्धि और प्रोफेशनल ग्रोथ के लिए अत्यंत उपयोगी।
  • मानसिक शांति और कल्याण: मन और आत्मा को शुद्ध करने वाला एक प्रभावी साधन।
  • ग्रहशांति हेतु: विशेष रूप से नवग्रहों के अनुकूल प्रभाव हेतु किया जाता है।

रुद्राभिषेक(rudraabhishek) के प्रकार

  1. रुद्राभिषेक – सामान्य रूप से दूध, जल, शहद, दही आदि से किया जाता है।
  2. लघु रुद्राभिषेक – 121 रुद्र मंत्रों के साथ अभिषेक।
  3. महाऋुद्राभिषेक – विस्तृत रूप, 11 रुद्र पाठों के साथ होता है।
  4. अति रुद्राभिषेक – अत्यंत दुर्लभ और प्रभावशाली, 14641 रुद्र मंत्रों के साथ।

Rudraabhishek - चमत्कारी लाभ रुद्राभिषेक पूजा

रुद्राभिषेक(rudraabhishek) के लिए आवश्यक सामग्री (Samagri List)

अभिषेक के लिए:

  • गंगाजल
  • गाय का कच्चा दूध
  • दही
  • शुद्ध घी
  • शहद
  • शक्कर या मिश्री
  • गन्ने का रस (यदि उपलब्ध हो)
  • बेलपत्र (त्रिपत्र युक्त)
  • भस्म (विभूति)
  • फूल (विशेषतः कनेर, आक, धतूरा, कमल)
  • अक्षत (चावल)
  • सफेद चंदन और कुमकुम
  • दूर्वा और बिल्वपत्र
  • नारियल (पूरे और पानी सहित)
  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर का मिश्रण)
  • गंध, अगरबत्ती, दीपक, कपूर
  • लौंग, इलायची, जायफल, सुपारी
  • लाल वस्त्र, मौली, पान के पत्ते

हवन सामग्री:

  • हवन कुंड
  • आम की लकड़ी या आम की समिधा
  • हवन सामग्री (सुगंधित जड़ी-बूटियाँ)
  • नवग्रह समिधा
  • घी, कपूर
  • जौ, तिल, चावल
  • लौंग, इलायची, सुपारी
  • गोला (नारियल)

पूजन विधि (विस्तृत विवरण)

1. शुद्धिकरण और संकल्प

  • प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजन स्थान की सफाई करें और उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठे।
  • पवित्रीकरण करें (गंगाजल छिड़कें)।
  • कलश स्थापना करें।
  • संकल्प लें: अपने नाम, गोत्र, स्थान, तिथि और मनोकामना का उच्चारण करें।

2. गणपति पूजन और आह्वान

  • सर्वप्रथम भगवान गणेश की पूजा करें ताकि पूजा में कोई विघ्न न आए।
  • दीप जलाकर भगवान शिव, पार्वती, गणेश, नंदी और अन्य देवी-देवताओं का आह्वान करें।

3. नवग्रह पूजन

  • नवग्रहों की पूजा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें:
    • सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु
  • 9 सुपारी या 9 पीतल/तांबे के पात्रों में उनके प्रतीक रखकर पूजन करें।
  • रंग, फूल, धूप, दीप से उनका पूजन करें।

4. कुलदेवता पूजन

  • अपने कुलदेवता का आह्वान कर पूजा करें। इससे पारिवारिक सुरक्षा एवं वंश रक्षा होती है।

5. भगवान शिव का रुद्राभिषेक

  • शिवलिंग पर क्रमशः निम्न अभिषेक करें:
    1. शुद्ध जल
    2. पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
    3. गंगाजल
    4. गन्ने का रस (यदि उपलब्ध हो)
    5. नारियल जल
    6. बेलपत्र, भस्म, चंदन, फूल आदि अर्पित करें
  • हर अभिषेक के दौरान “ॐ नमः शिवाय” या रुद्र मंत्र का जाप करें।

6. रुद्रपाठ एवं जाप

  • योग्य ब्राह्मण द्वारा रुद्र पाठ (श्री रुद्रम – यजुर्वेद से) करवाना उत्तम होता है।
  • “ॐ नमो भगवते रुद्राय” मंत्र का 108 बार जप करें।

7. हवन

  • रुद्र मंत्रों के साथ हवन करें। विशेषत: रुद्र गायत्री मंत्र:
    “ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।”
  • घी, हवन सामग्री, चावल, तिल, नवग्रह समिधा आदि से आहुतियाँ दें।

8. पूजा का समापन एवं आरती

  • महादेव की आरती करें: “ॐ जय शिव ओंकारा…”
  • सभी देवी-देवताओं से क्षमा याचना कर पूजन पूर्ण करें।

ब्राह्मणों को दक्षिणा, वस्त्र एवं भोजन

यदि रुद्राभिषेक योग्य ब्राह्मणों द्वारा संपन्न कराया जा रहा है, तो उन्हें यथायोग्य दक्षिणा, वस्त्र (धोती, अंगवस्त्र) और शुद्ध सात्विक भोजन कराना अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है। यह न केवल संतोष और आशीर्वाद प्राप्ति का माध्यम है, बल्कि पूर्ण पूजन का एक आवश्यक अंग भी है।

  • दक्षिणा: यथाशक्ति ब्राह्मणों को दक्षिणा दें।
  • वस्त्र: नया धोती या अंगवस्त्र भेंट करें।
  • भोजन: सादा सात्विक भोजन जैसे खिचड़ी, पूरी-सब्जी, हलवा आदि कराया जाए।

निष्कर्ष:

रुद्राभिषेक(rudraabhishek) एक अत्यंत प्रभावशाली और पूर्ण वैदिक विधि है जो व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता, ऊर्जा, स्वास्थ्य, और सुख-शांति का संचार करती है। इसे श्रद्धा और विधिवत तरीके से ब्राह्मणों के मार्गदर्शन में कराया जाए तो यह अत्यंत फलदायी सिद्ध होता है।

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हर हर महादेव!

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